अमृतसर की खून से रंगी यादों से निकलकर, पतंग अनाया को 1930 के भारत के एक शांत समुद्री किनारे पर ले आती है, जहाँ हवा में नमक की तेज़ खुशबू है। यहाँ वह सफेद खादी पहने हुए लोगों को देखती है, जो मज़बूत कदमों से एक गांधी जी के पीछे चल रहे हैं।
अनाया उनके साथ चलती है, पुराने और नए अन्याय की बातें सुनती है, और समझती है कि आज़ादी हमेशा हथियारों से नहीं हासिल होती, कभी-कभी वह रेत के कणों की तरह, कदम दर कदम बनती है।
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Informations
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- Publiée23 août 2025 à 23:00 UTC
- Épisode8