KIDS AUDIO STORIES

Get exclusive content, ad free

249.99 EGP/mois ou 1,999.99 EGP/an après l’essai

Eid ul-Azha

अरबी कैलेंडर के आखिरी महीने, ज़िल-हिज्जा का चांद निकलने के दस दिन बाद, दुनिया भर के मुसलमान, आस्था, करुणा और बलिदान का त्योहार मनाते हैं, जिसे हम ईद उल अज़्हा या बकरा ईद कहते हैं।   इस त्योहार के आने से पहले दुनिया भर के मुसलमान हज करने के लिए मक्का जाते हैं और वहाँ खाना-ए-काबा को देखते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं।  लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा किया क्यों जाता है?  इस दिन कुर्बानी करने का क्या तात्पर्य है?  यह कहानी शुरू होती है हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से। तो आइए जानते हैं, कौन थे हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ? मुसलमान हर साल ईद उल अज़हा का त्योहार यानि का बकरा-ईद क्यों मनाते हैं ? और क्यों वह हज करने के लिए मक्का जाते हैं ? इन सभी सवालों के जवाबों के साथ हम खुशामदीत करते हैं आप सभी का हमारी इस नई पेशकश "ईद उल अज़्हा" में।  तो जुड़िये हमारे साथ और जानिए ईद उल अज़्हा की कहानी।  अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ:  https://chimesradio.com हमारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर हमें फॉलो करें: https://www.instagram.com/vrchimesradio/ https://www.facebook.com/chimesradio/

Épisodes

  1. ÉPISODE 1 • ABONNÉS UNIQUEMENT

    1. हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम

    दुनिया भर के मुसलमान जिस इस्लाम धर्म को मानते हैं, कुरान पाक के मुताबिक उसमें अल्लाह ने एक लाख 24 हज़ार पैगंबर भेजे हैं, और इनमें 5 ऐसे पैगंबर हैं जिनकी अपनी मज़हबी किताबें और अपनी मज़हबी तालीम थी। इन्हीं पाँच पैगंबरों की सूची में एक नाम आता है- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का जिनका नाम इस पाक किताब में बार बार मिलता है।  दुनिया में डेड सौ साल से भी कहीं ज़्यादा जीने वाले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को न सिर्फ मुसलमान, बल्कि यहूदी व ईसाई भी अपना पैगंबर मानते हैं।  तो आइये सुनते हैं हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की कहानी, जिनकी ईश्वर के लिए दी गयी कुर्बानी और इबादत, हर कोई याद करता है।  अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ:  https://chimesradio.com हमारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर हमें फॉलो करें: https://www.instagram.com/vrchimesradio/ https://www.facebook.com/chimesradio/

    7 min
  2. ÉPISODE 2 • ABONNÉS UNIQUEMENT

    2. कुर्बानी का वाक़िया

    एक रात अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के सपने में आकर उनसे कहा कि वह अपनी सबसे अज़ीज़ चीज को उनके रास्ते में कुर्बान कर दें। इस पर हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के बेटे इस्माइल ने जब उनसे कहा कि एक बाप के लिए उसकी औलाद ही उसे सबसे अज़ीज़ होती  है, तो इब्राहीम अलहिस्सलाम काश्मकश में पड़ गए कि आखिर अब वो करें क्या। अपने खुद के बेटे की कुर्बानी कैसे दे दें?  तो आइये जानते हैं इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने क्या फैसला लिया, और उसका अंजाम क्या हुआ।  अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ:  https://chimesradio.com हमारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर हमें फॉलो करें: https://www.instagram.com/vrchimesradio/ https://www.facebook.com/chimesradio/

    4 min
  3. ÉPISODE 4 • ABONNÉS UNIQUEMENT

    4. ईद-उल-अज़्हा की शुरुआत

    इस्लामी कैलेंडर के ज़िल हिज़्जह के महीने की दसवीं तारीख को ईद-उल-अज़्हा मनाई जाती है। ईद उल अज़्हा मनाने की शुरुवात पैगंबर मुहम्मद सल्लललाहु अलैहि वसल्लम से हुई थी, जो पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम के अल्लाह की इबादत में दिये हुए इम्तेहानों, उनके सब्र और  उनकी कुर्बानियों  को हमेशा याद करते थे।  उसी कुर्बानी को याद करते हुए और उस प्रथा को आगे बढ़ाते हुए सभी मुसलमान भी इस त्योहार को मनाते आए हैं, कुर्बानी आए हैं, और इसीलिए इस त्योहार के नाम का मतलब है 'कुर्बानी का त्योहार।'   तो आइये जानते हैं ईद उल अज़्हा कैसे मनाई जाती है।  अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ:  https://chimesradio.com हमारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर हमें फॉलो करें: https://www.instagram.com/vrchimesradio/ https://www.facebook.com/chimesradio/

    6 min
  4. 23/06/2024

    परिचय

    अरबी कैलेंडर के आखिरी महीने, ज़िल-हिज्जा का चांद निकलने के दस दिन बाद, दुनिया भर के मुसलमान, आस्था, करुणा और बलिदान का त्योहार मनाते हैं, जिसे हम ईद उल अज़्हा या बकरा ईद कहते हैं।   इस त्योहार के आने से पहले दुनिया भर के मुसलमान हज करने के लिए मक्का जाते हैं और वहाँ खाना-ए-काबा को देखते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं।  लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा किया क्यों जाता है?  इस दिन कुर्बानी करने का क्या तात्पर्य है?  यह कहानी शुरू होती है हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से। तो आइए जानते हैं, कौन थे हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ? मुसलमान हर साल ईद उल अज़हा का त्योहार यानि का बकरा-ईद क्यों मनाते हैं ? और क्यों वह हज करने के लिए मक्का जाते हैं ? इन सभी सवालों के जवाबों के साथ हम खुशामदीत करते हैं आप सभी का हमारी इस नई पेशकश "ईद उल अज़्हा" में।  तो जुड़िये हमारे साथ और जानिए ईद उल अज़्हा की कहानी।  अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ:  https://chimesradio.com हमारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर हमें फॉलो करें: https://www.instagram.com/vrchimesradio/ https://www.facebook.com/chimesradio/

    1 min

Bande-annonce

Podcasts avec bonus en cas d’abonnement

KIDS AUDIO STORIES

Get exclusive content, ad free

249.99 EGP/mois ou 1,999.99 EGP/an après l’essai

À propos

अरबी कैलेंडर के आखिरी महीने, ज़िल-हिज्जा का चांद निकलने के दस दिन बाद, दुनिया भर के मुसलमान, आस्था, करुणा और बलिदान का त्योहार मनाते हैं, जिसे हम ईद उल अज़्हा या बकरा ईद कहते हैं।   इस त्योहार के आने से पहले दुनिया भर के मुसलमान हज करने के लिए मक्का जाते हैं और वहाँ खाना-ए-काबा को देखते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं।  लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा किया क्यों जाता है?  इस दिन कुर्बानी करने का क्या तात्पर्य है?  यह कहानी शुरू होती है हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से। तो आइए जानते हैं, कौन थे हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ? मुसलमान हर साल ईद उल अज़हा का त्योहार यानि का बकरा-ईद क्यों मनाते हैं ? और क्यों वह हज करने के लिए मक्का जाते हैं ? इन सभी सवालों के जवाबों के साथ हम खुशामदीत करते हैं आप सभी का हमारी इस नई पेशकश "ईद उल अज़्हा" में।  तो जुड़िये हमारे साथ और जानिए ईद उल अज़्हा की कहानी।  अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ:  https://chimesradio.com हमारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर हमें फॉलो करें: https://www.instagram.com/vrchimesradio/ https://www.facebook.com/chimesradio/

Plus de contenus par Chimes - Indian Stories