Namak Ka Droga

कर्तव्य की कीमत

Subscribers Only
वंशीधर को अपनी ईमानदारी के कारण मुअत्तली का सामना करना पड़ा और वह शोक से व्यथित घर लौटे। उनके बूढ़े पिता ने उन्हें समझाया था पर वंशीधर ने उनकी एक न सुनी थी और अब उन्हें कुछ पछतावा भी हो रहा था। परिवार में सभी नाराज़ थे—पिता ने क्रोध में कठोर बातें कही, माँ दुखी थीं, और पत्नी ने भी कई दिनों तक उनसे बात नहीं की। वंशीधर को अपने फैसले की भारी कीमत चुकानी पड़ी, और उनका जीवन कटु अनुभवों से भर गया। तो आइये सुनते हैं मुंशी प्रेमचंद की इस कहानी का तीसरा भाग! अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ: https://chimesradio.com हमारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर हमें फॉलो करें: https://www.instagram.com/vrchimesradio/ https://www.facebook.com/chimesradio/