पंडित अलोपीदीन अपने सजीले रथ पर सवार होकर, स्वाभिमान के साथ दारोगा वंशीधर के सामने पहुंचे। वंशीधर ने उनके ऐश्वर्य और घूस के प्रलोभनों को ठुकराते हुए, अपनी ईमानदारी पर अडिग रहकर, उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया।
पंडितजी ने धन का सहारा लेने की पूरी कोशिश की, परंतु वंशीधर की अटल ईमानदारी के आगे उनका प्रयास विफल हो गया। अंततः पंडित जी निराश होकर मूर्छित हो गए, और समाज में उनकी निंदा की जाने लगी।
तो आइये सुनते हैं मुंशी प्रेमचंद की इस कहानी का दूसरा भाग!
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Information
- Show
- Channel
- FrequencyComplete series
- Published4 November 2024 at 18:30 UTC
- Episode2