Namak Ka Droga

धन और धर्म का संग्राम

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पंडित अलोपीदीन अपने सजीले रथ पर सवार होकर, स्वाभिमान के साथ दारोगा वंशीधर के सामने पहुंचे। वंशीधर ने उनके ऐश्वर्य और घूस के प्रलोभनों को ठुकराते हुए, अपनी ईमानदारी पर अडिग रहकर, उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया। पंडितजी ने धन का सहारा लेने की पूरी कोशिश की, परंतु वंशीधर की अटल ईमानदारी के आगे उनका प्रयास विफल हो गया। अंततः पंडित जी निराश होकर मूर्छित हो गए, और समाज में उनकी निंदा की जाने लगी। तो आइये सुनते हैं मुंशी प्रेमचंद की इस कहानी का दूसरा भाग! अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ: https://chimesradio.com हमारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर हमें फॉलो करें: https://www.instagram.com/vrchimesradio/ https://www.facebook.com/chimesradio/