Namak Ka Droga

ईमानदारी का इनाम

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एक सप्ताह बाद, सांध्य के समय वंशीधर के बूढ़े पिता राम नाम की माला जप रहे थे। तभी पंडित अलोपीदीन का रथ आ कर उनके घर के आगे रुका। सबने सोचा की पंडित अलोपीदीन वंशीधरको नीचा दिखने के लिए ही वहाँ आए होंगे। पर उन्होंने वंशीधर से आकर कुछ ऐसा कहा कि जिसे सुनकर न तो वंशीधर को अपने कानों पर यकीन हुआ न ही वह खुद को पंडित अलोपीदीन की दरखास्त स्वीकार करने के काबिल समझ पा रहे थे। तो आइये सुनते हैं मुंशी प्रेमचंद की इस कहानी का आखिरी भाग! अधिक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ: https://chimesradio.com हमारे सोशल मीडिया हैंडल्स पर हमें फॉलो करें: https://www.instagram.com/vrchimesradio/ https://www.facebook.com/chimesradio/