एक सप्ताह बाद, सांध्य के समय वंशीधर के बूढ़े पिता राम नाम की माला जप रहे थे। तभी पंडित अलोपीदीन का रथ आ कर उनके घर के आगे रुका। सबने सोचा की पंडित अलोपीदीन वंशीधरको नीचा दिखने के लिए ही वहाँ आए होंगे।
पर उन्होंने वंशीधर से आकर कुछ ऐसा कहा कि जिसे सुनकर न तो वंशीधर को अपने कानों पर यकीन हुआ न ही वह खुद को पंडित अलोपीदीन की दरखास्त स्वीकार करने के काबिल समझ पा रहे थे।
तो आइये सुनते हैं मुंशी प्रेमचंद की इस कहानी का आखिरी भाग!
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Information
- Show
- Channel
- FrequencyComplete series
- Published4 November 2024 at 18:30 UTC
- Episode4