आज़ादी की उड़ान

बंगाल के सूखे खेत

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अनाया को लगा था कि वह अंग्रेज़ों की चालें अब काफी देख चुकी है, मसालों के सौदों से लेकर चुपचाप रियासतें हड़पने तक। लेकिन जब पतंग उसे 18वीं सदी के बंगाल के बीचों-बीच उतार देती है, तो उसे समझ आता है कि असली तूफ़ान तो अब शुरू हो रहा है। हवा में बारूद और गीली मिट्टी की गंध है, और चारों तरफ़ जंग की फुसफुसाहट। प्लासी की लड़ाई सब कुछ बदलने वाली है और अनाया उसके ठीक बीचोंबीच खड़ी है। Visit our website to know more: https://chimesradio.com