बातां री लड़ी - राजस्थानी कहानियां

नाटक_राजस्थानी कहाणी_इंद्रजीत कौशिक

अेक माँ आपरी औलाद पै घणो भरोसो कर है सगळो जीवण उण पै निछरावळ करै, पण औलाद माँ री की परवाह  करै,  ई का'णी में औलाद रो असली चैरो दिखायो गियो है