पुष्पेंद्र यादव जी

Pushpendra yadav ji

फूल फूल कहां से नहीं दिमाग से होती है मोहब्बत एक से नहीं हजारों से नहीं देख सकते

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फूल फूल कहां से नहीं दिमाग से होती है मोहब्बत एक से नहीं हजारों से नहीं देख सकते