Kahani Wali Kudi !!!(कहानी वाली कुड़ी)

स्वकथा, रसीदी टिकट epi-31

मैं क़लम और काग़ज़ वहीं छोड़ कर, नीचे आंगन में चली गई, और रोज़ की तरह ,उनके साथ फूल चुनने लगी..... मन में अपनी ही इबारत के अक्षर समाए हुए थे. इस तरह के बहुत प्यारे और नाज़ुक पल जीने के लिए होते हैं, लिखने के लिए नहीं....