मैं क़लम और काग़ज़ वहीं छोड़ कर, नीचे आंगन में चली गई, और रोज़ की तरह ,उनके साथ फूल चुनने लगी..... मन में अपनी ही इबारत के अक्षर समाए हुए थे. इस तरह के बहुत प्यारे और नाज़ुक पल जीने के लिए होते हैं, लिखने के लिए नहीं....
信息
- 节目
- 发布时间2025年5月20日 UTC 09:49
- 长度10 分钟
- 分级儿童不宜