मैं इमरोज़ के चेहरे की ओर ऐसे देख रही थी जैसे कृष्ण को देख रही होऊं।कृष्ण भी वेद से फ़िक्रमंद हुए थे ,पर बुद्ध जी तरह नहीं।कृष्ण ने वासनामय पूजा पाठ से पार जाने की बात कही थी,और आज इमरोज़ भी ज़िंदगी के स्वीकार के साथ केह रहे थे, ' अमृता ,तूने इस उदासी के पार जाना है।जो होता है, होने दे! क़त्ल भी होता है, तो होने दे, मैं तेरे साथ हूं.....'
信息
- 节目
- 发布时间2025年5月20日 UTC 10:06
- 长度6 分钟
- 分级儿童不宜