भावार्थ....
इस सुंदर कविता की रचना वन्दना जी ने की है l गोलोक एक्सप्रेस माध्यम से वन्दना जी के जीवन में जो परिवर्तन आए है उनका वर्णन उन्होंने इस कविता के माध्यम से किया है l हम सबके अंदर बहुत सारे अवगुण कूट-कूट कर भरे हुए हैं लेकिन अज्ञानता व अहंकार के कारण हमें वह बुराइयां हमेशा दूसरों में ही दिखती हैं l लेकिन जब हम भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ते हैं और निरंतर सत्संग,साधना,सेवा को अपने जीवन में उतारते हैं तो हमारे जीवन में सदाचार आता है l हर रोज सत्संग सुनने से हमारे विचार सुंदर बनते हैं और हमें अपने अंदर की बुराइयां दिखने लगती प्रभु कृपा से जब हम साधना के द्वारा उन बुराइयों को दूर करने का प्रयास करते हैं तो हमारे अंदर सतोगुण बढ़ता है जिसके परिणाम स्वरूप रजोगुण व तमोगुण कम होने लगता है l जब हम निरंतर इस पथ पर चलने के लिए प्रयासरत रहते हैं तो प्रभु हमारे प्रयासों से बहुत प्रसन्न होते हैं और प्रभु की कृपा से हमें फिर प्रेमा भक्ति पर प्राप्त होती है l
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المعلومات
- البرنامج
- تاريخ النشر١٩ أغسطس ٢٠٢٣ في ١١:٠٠ م UTC
- مدة الحلقة١٤ من الدقائق
- التقييمملائم
