
Books.Com - "गबन"- बुक रिव्यु (हिंदी) |एपिसोड 60| सुभाषिनी
समाज में अपना चेहरा बचाने के लिए क्या दोनों लिंग झूठ का सहारा लेते है? क्या एक स्त्री का ग़रूर और गहनों के प्रति मोह उसके पति को बर्बादी की ओर ले जा सकता है? अनुवाद श्रृंखला के इस आखरी एपिसोड में, सुभाषिनी, क्रिस्टोफर र. किंग द्वारा अनुवादित प्रेमचंद की “गबन” की समीक्षा करती है। उन्होंने भारतीय समाज और घरबार के आस-पास के कई पहलूों पर कहानी पिरोयी है जिसमें लिंग असमानता और भ्रष्टाचार भी शामिल है।
यदि आप इसे स्पॉटिफाई या ऐप्पल पर सुन रहे हैं, तो कृपया हमारे शो को रेट करें।
आपको यदि शो पसंद आये, तो हमें फॉलो करना ना भूलें और अपने परिवारवालों और दोस्तों के साथ शेयर करें। अधिक मनोरम बुक रिव्युस और समरीज़ के लिए Books.Com के साथ जुड़े रहिए।
信息
- 节目
- 频率一周一更
- 发布时间2023年12月30日 UTC 17:00
- 长度22 分钟
- 季2
- 单集60
- 分级儿童适宜