जन-साधारण के मन-मस्तिष्क पर केवल दृढ़ व ताकतवर की ही पकड़ होती है।
ठीक उसी तरह जैसे एक स्त्री की आन्तरिक संवेदनशीलता अमूर्त तर्क द्वारा इतनी प्रभावित नहीं होगी, जितनी कि उसके अस्तित्व को पूर्ण करने वाली शक्ति से होती है। इसी तरह वह एक कमजोर इंसान पर राज करने के स्थान पर शक्ति संम्पन्न पुराण के समक्ष समर्पण पसन्द करती है। वैसे जन-साधारण की विनम्रता की अपेक्षा कठरता से पेश आने वाले शासक को पसन्द करती है। एक कठोर शासक की व्यवस्था से वे अधिक उपक्षत तथा सम्मानित अनुभव करते हैं जिसमें विकल्प के लिए कोई स्थान नहीं होता।
साधारण के विकल्प ढूंढने में कोई रुचि नहीं होती, ऐसी व्यवस्था से उन्हें यह अनुभव होता हैं जैसा की परित्याग कर दिया गया हो। बौद्धिक यातनाएं मिलने के कारण “नह सत्य का अल्पज्ञान होता हैं
Informations
- Émission
- Chaîne
- FréquenceChaque semaine
- Publiée24 décembre 2023 à 15:01 UTC
- Durée16 min
- ClassificationTous publics