
Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 25
यह श्लोक श्रीमद्भगवद गीता के 17.25 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण "तत्" शब्द के महत्व और इसके उपयोग को समझाते हुए कहते हैं:
"मोक्ष की इच्छा रखने वाले (आत्मज्ञान प्राप्त करने की कामना करने वाले) लोग फल की अभिलाषा किए बिना, 'तत्' शब्द का उच्चारण करते हुए, यज्ञ, तप और दान की विविध क्रियाएँ करते हैं।"
भगवान श्री कृष्ण यहाँ यह समझा रहे हैं कि 'तत्' शब्द त्याग और निस्वार्थता का प्रतीक है। जब कोई व्यक्ति अपने कार्यों को फल की अपेक्षा किए बिना, केवल मोक्ष प्राप्ति और परमात्मा के प्रति समर्पण की भावना से करता है, तो उसके कार्य शुद्ध और आध्यात्मिक उन्नति के लिए होते हैं।
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Информация
- Подкаст
- ЧастотаЕженедельно
- Опубликовано13 февраля 2025 г. в 14:30 UTC
- Длительность1 мин.
- Сезон1
- Выпуск25
- ОграниченияБез ненормативной лексики