
Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 26
यह श्लोक श्रीमद्भगवद गीता के 17.26 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण "सत्" शब्द के महत्व और इसके उपयोग का वर्णन करते हुए कहते हैं:
"‘सत्’ शब्द का उपयोग सद्भाव (सत्प्रवृत्ति) और साधुभाव (पवित्रता और सच्चाई) के संदर्भ में किया जाता है। हे पार्थ (अर्जुन), यह शब्द प्रशंसनीय और श्रेष्ठ कर्मों में भी प्रयोग होता है।"
भगवान श्री कृष्ण यहाँ यह स्पष्ट करते हैं कि ‘सत्’ सत्य, शुद्धता और उत्कृष्टता का प्रतीक है। यह शब्द उन कर्मों को इंगित करता है जो धर्म, सत्य और आध्यात्मिकता के अनुरूप होते हैं। ‘सत्’ का प्रयोग उन कार्यों के लिए होता है जो समाज और आत्मा के कल्याण के लिए किए जाते हैं।
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Information
- Show
- FrequencyUpdated Weekly
- PublishedFebruary 13, 2025 at 7:30 PM UTC
- Length1 min
- Season1
- Episode26
- RatingClean