मुहम्मद साहब के वालिद उनके जन्म से पहले ही इस दुनिया से विदा ले चुके थे। इसलिए उनकी परवरिश का जिम्मा उनकी माँ और दादा जी ने संभाला। फिर मक्का शहर के रिवाज के चलते, उन्हें शहर से दूर रेगिस्तान में एक दूध पिलाने वाली महिला के यहाँ भेज दिया गया।
चार साल की उम्र में वो अपने घर वापस लौटे लेकिन जल्द ही उनकी माँ और दादा दोनों का इंतेकाल हो गया और उनके जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव आया। आइये जानते हैं कि उनकी माँ और दादा के चले जाने के बाद, मुहम्मद साहब की परवरिश किसने की।
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المعلومات
- البرنامج
- قناة
- معدل البثمسلسل مكتمل
- تاريخ النشر٦ نوفمبر ٢٠٢٤ في ٦:٣٠ م UTC
- الحلقة٢