आज़ादी की उड़ान

सौदे से साज़िश तक

अनाया सबसे पहले खुद को सूरत की एक छत पर खड़ा पाती है, लेकिन यह वो सूरत नहीं जो वह जानती है। यह है 1600 का दौर, जहाँ बाज़ारों में मसालों की ख़ुशबू फैली है, गलियों में ऊंठ चलते हैं, और अंग्रेज़ सिर्फ़ ईस्ट इंडिया कंपनी के सभ्य व्यापारी नज़र आते हैं… कम से कम, ऊपर से तो उन्हें देखकर ऐसा ही लगता है। अपने नए दोस्त रफ़ी के साथ, अनाया देखती है कि कैसे ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले क़िले बन रहे हैं, कैसे सिपाही भर्ती हो रहे हैं, और कैसे धीरे-धीरे व्यापारी हुक्म चलाने वालों में बदल रहे हैं। मद्रास से लेकर बंबई और कलकत्ता तक, हालात बदल रहे हैं, और इसके साथ बदल रहा है भारत का भविष्य। तो आइए, अनाया के साथ देखें ईस्ट इंडिया कंपनी की बुनियाद रखे जाने के पहले पत्थर।