आज़ादी की उड़ान

अनाया कोई साधारण 12 साल की लड़की नहीं है। उसने भारत के इतिहास के बारे में इतना पढ़ रखा है कि हर बड़ी घटना और हर स्वतंत्रता सेनानी का नाम उसे याद है। फिर भी वो संतुष्ट नहीं है, क्योंकि आज़ादी के बारे में पढ़ना और उसे महसूस करना, दो बिल्कुल अलग बातें हैं। स्वतंत्रता दिवस पर वह सोचा करती है, "जब मैं वहाँ थी ही नहीं, तो मैं उस संघर्ष, उस डर और उस उम्मीद को सच में कैसे महसूस कर सकती हूँ?" तभी उसकी इस कश्मकश का हल उसके नानाजी लेकर आते हैं, एक बेहद नरम लेकिन ज़िंदगी बदल देने वाले सरप्राइज़ के साथ। और अचानक, अनाया खुद को उस भारत में पाती है, जिसकी अभी तक उसने सिर्फ कल्पना की थी। गलियों में चलती हुई, लोगों से मिलती हुई, और उन लम्हों को अपनी आँखों से देखती हुई, जिन्होंने भारत की आज़ादी की लड़ाई को आकार दिया। यह उसका सफर है, जो शायद आपका भी बन जाए। तो आइए, अनाया के साथ समय में पीछे चलते हैं, उस इतिहास को जीने के लिए जिसे अब तक आपने सिर्फ जाना था, जिया नहीं। Visit our website to know more: https://chimesradio.com

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Episodes

  1. EPISODE 1

    जब अतीत ने पुकारा उसका नाम

    12 साल की अनाया के लिए स्वतंत्रता दिवस बस स्कूल का एक और कार्यक्रम है जहां भाषण, देशभक्ति के गीत, और वो लड्डू मिलते हैं, जो वो सैकड़ों बार खा चुकी है। उसे भारत के इतिहास के बारे में सब कुछ मालूम है, लेकिन उसने कभी उस इतिहास को जिया नहीं। तभी उसके नानाजी उसे एक ऐसा तोहफ़ा देते हैं जो उसकी ज़िंदगी बदल देगा। बस एक डोरी खींचते ही, अनाया एक ऐसे सफ़र पर निकल जाती है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी, वह खुद को उस भारत में पाती है, जिसे वह अब तक सिर्फ किताबों के पन्नों पर देखती आई थी। तो जुड़िए अनाया के साथ और उड़ान भरिए समय की ओर, अतीत आपका इंतज़ार कर रहा है। Visit our website to know more: https://chimesradio.com

    5 min
  2. EPISODE 2

    सौदे से साज़िश तक

    अनाया सबसे पहले खुद को सूरत की एक छत पर खड़ा पाती है, लेकिन यह वो सूरत नहीं जो वह जानती है। यह है 1600 का दौर, जहाँ बाज़ारों में मसालों की ख़ुशबू फैली है, गलियों में ऊंठ चलते हैं, और अंग्रेज़ सिर्फ़ ईस्ट इंडिया कंपनी के सभ्य व्यापारी नज़र आते हैं… कम से कम, ऊपर से तो उन्हें देखकर ऐसा ही लगता है। अपने नए दोस्त रफ़ी के साथ, अनाया देखती है कि कैसे ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले क़िले बन रहे हैं, कैसे सिपाही भर्ती हो रहे हैं, और कैसे धीरे-धीरे व्यापारी हुक्म चलाने वालों में बदल रहे हैं। मद्रास से लेकर बंबई और कलकत्ता तक, हालात बदल रहे हैं, और इसके साथ बदल रहा है भारत का भविष्य। तो आइए, अनाया के साथ देखें ईस्ट इंडिया कंपनी की बुनियाद रखे जाने के पहले पत्थर।

    11 min
  3. EPISODE 3 • SUBSCRIBERS ONLY

    खरीदी गई जंग

    अबकी बार अनाया खुद को पाती है बंगाल की एक शोरगुल भरी सड़क पर, और यहाँ उसे सब कुछ अजनबी सा लगता है। कपड़े अलग हैं, आवाज़ें अलग हैं, और हवा में भी कोई नई सी महक है। अनाया समझ ही नहीं पाती कि क्या हो रहा है, व्यापारी ऊँची आवाज़ में दाम लगा रहे हैं, उधर अंग्रेज़ सिपाही कदमताल करते हुए गुज़र रहे हैं, और इधर-उधर एक जगह फ़ोर्ट सेंट जॉर्ज नाम की जगह के बारे में फुसफुसाहट हो रही है। सब कहते हैं कि अंग्रेज़ यहाँ सिर्फ़ व्यापार के लिए आए हैं, लेकिन अनाया को साफ़ समझ आ रहा है कि यह सब कुछ और ही बनने वाला है। यहीं से उनकी ताक़त की असली कहानी शुरू होती है। Visit our website to know more: https://chimesradio.com

    9 min
  4. EPISODE 6 • SUBSCRIBERS ONLY

    नील विद्रोह

    पतंग इस बार अनाया को 1859 के बंगाल में उतारती है, लेकिन यहाँ न तो तोपों की गड़गड़ाहट है और न ही युद्ध के नारे। यहाँ लड़ाई ज़मीन की है। जहाँ कभी धान लहराता था, अब वहाँ नील की नीली फसलें छाई हैं, जो ऊपर से सुंदर, लेकिन भीतर एक कड़वा सच छुपाए हुए। किसानों को मजबूर किया जाता है इस फसल को उगाने के लिए, जो उनकी ज़मीन को ज़हर बना देती है, उनके परिवारों को भूखा रखती है, और दूर बैठे हुक्मरानों के खज़ाने भरती है। हथियारों के बिना, सिर्फ़ अपनी आवाज़ के दम पर, किसान कंधे से कंधा मिलाकर उठ खड़े होते हैं नील विद्रोह के लिए। लेकिन इतिहास ठहरता नहीं। पलक झपकते ही अनाया खुद को 1905 के कलकत्ता में पाती है, जहाँ एक नया घाव खुल चुका है। बंगाल को “फूट डालो और राज करो” की नीति के तहत दो हिस्सों में बाँट दिया गया है। मगर इससे बचने का भी एक ही जवाब है और वो है एकता। स्वदेशी आंदोलन सड़कों पर लहर की तरह फैल रहा है, विदेशी कपड़ों का बहिष्कार हो रहा है, और चरखों पर खादी कातने की मधुर गूंज सुनाई दे रही है। Visit our website to know more: https://chimesradio.com

    9 min
  5. EPISODE 7 • SUBSCRIBERS ONLY

    जिस दिन बाग़ में खून बहा

    "वंदे मातरम" के नारे धीमे होते हैं और अनाया खुद को 1919 के अमृतसर में पाती है। अभी-अभी रॉलेट एक्ट पास हुआ है, एक ऐसा बेरहम क़ानून जिसमें बिना मुक़दमे बिना सुनवाई के किसी को भी जेल में डाल दिया जाता है। लेकिन लोग तब भी चुप नहीं हैं। वे मार्च कर रहे हैं क्योंकि उन्हें यक़ीन है कि बदलाव आएगा। 13 अप्रैल को, जलियांवाला बाग़ नाम के एक चारदीवारी से घिरे बाग़ में हज़ारों लोग इकट्ठा होते हैं, बैसाखी का त्योहार मनाने और चुपचाप विरोध जताने के लिए। लेकिन आगे जो हुआ, उसने भारत की मिट्टी को हमेशा के लिए दाग़दार कर दिया। ब्रिटिश सैनिक बाग़ का एकमात्र दरवाज़ा बंद कर देते हैं। जनरल डायर अपना आदेश देता है, और अगले दस मिनट तक निहत्थी भीड़ पर गोलियां बरसती रहती हैं। बचने का कोई रास्ता नहीं था। माएँ, बच्चे, बुज़ुर्ग, सबकी ज़िंदगियाँ एक पल में छिन गईं। बाग़ ख़ून से लथपथ हो गया, लेकिन उसी ख़ून में कुछ ऐसा जन्म लिया जिसे ब्रिटिश कभी ख़ामोश नहीं कर सकते थे, एक ऐसी गरज, जो हमेशा गूँजती रहेगी। Visit our website to know more: https://chimesradio.com

    7 min
  6. EPISODE 10 • SUBSCRIBERS ONLY

    मध्यरात्रि का आश्चर्य

    स्वतंत्रता मिलने से एक दिन पहले, 14 अगस्त 1947 की रात है। दिल्ली तिरंगे की रोशनी से जगमगा रही है, वहीं देश के और हिस्से बटवारे के बोझ से भारी थे। अनाया की पतंग उसे विभाजन की अफ़रातफ़री भरी ट्रेन यात्रा से संसद भवन की शांत गलियारों तक ले जाती है। यहाँ जल्द ही जवाहरलाल नेहरू उन शब्दों को बोलेंगे, जिनका पूरा देश और पूरी दुनिया बेसब्री से इंतजार कर रही है। लेकिन यह रात मीठी और कड़वी दोनों है। हर खुशी के बीच कहीं ग़म भी है। गांधी जी जश्न मनाने की बजाय शांति का रास्ता चुनते हैं और उस देश को जोड़ने की कोशिश करते हैं, जो जन्म लेते ही टूट रहा है। आधी रात की पहली घड़ी से लेकर आज़ादी की पहली सुबह तक, अनाया गवाह बनती है एक नए राष्ट्र के जन्म की। Visit our website to know more: https://chimesradio.com

    8 min
  7. 23 AUG

    परिचय

    अनाया कोई साधारण 12 साल की लड़की नहीं है। उसने भारत के इतिहास के बारे में इतना पढ़ रखा है कि हर बड़ी घटना और हर स्वतंत्रता सेनानी का नाम उसे याद है। फिर भी वो संतुष्ट नहीं है, क्योंकि आज़ादी के बारे में पढ़ना और उसे महसूस करना, दो बिल्कुल अलग बातें हैं। स्वतंत्रता दिवस पर वह सोचा करती है, "जब मैं वहाँ थी ही नहीं, तो मैं उस संघर्ष, उस डर और उस उम्मीद को सच में कैसे महसूस कर सकती हूँ?" तभी उसकी इस कश्मकश का हल उसके नानाजी लेकर आते हैं, एक बेहद नरम लेकिन ज़िंदगी बदल देने वाले सरप्राइज़ के साथ। और अचानक, अनाया खुद को उस भारत में पाती है, जिसकी अभी तक उसने सिर्फ कल्पना की थी। गलियों में चलती हुई, लोगों से मिलती हुई, और उन लम्हों को अपनी आँखों से देखती हुई, जिन्होंने भारत की आज़ादी की लड़ाई को आकार दिया। यह उसका सफर है, जो शायद आपका भी बन जाए। तो आइए, अनाया के साथ समय में पीछे चलते हैं, उस इतिहास को जीने के लिए जिसे अब तक आपने सिर्फ जाना था, जिया नहीं। Visit our website to know more: https://chimesradio.com

    2 min

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अनाया कोई साधारण 12 साल की लड़की नहीं है। उसने भारत के इतिहास के बारे में इतना पढ़ रखा है कि हर बड़ी घटना और हर स्वतंत्रता सेनानी का नाम उसे याद है। फिर भी वो संतुष्ट नहीं है, क्योंकि आज़ादी के बारे में पढ़ना और उसे महसूस करना, दो बिल्कुल अलग बातें हैं। स्वतंत्रता दिवस पर वह सोचा करती है, "जब मैं वहाँ थी ही नहीं, तो मैं उस संघर्ष, उस डर और उस उम्मीद को सच में कैसे महसूस कर सकती हूँ?" तभी उसकी इस कश्मकश का हल उसके नानाजी लेकर आते हैं, एक बेहद नरम लेकिन ज़िंदगी बदल देने वाले सरप्राइज़ के साथ। और अचानक, अनाया खुद को उस भारत में पाती है, जिसकी अभी तक उसने सिर्फ कल्पना की थी। गलियों में चलती हुई, लोगों से मिलती हुई, और उन लम्हों को अपनी आँखों से देखती हुई, जिन्होंने भारत की आज़ादी की लड़ाई को आकार दिया। यह उसका सफर है, जो शायद आपका भी बन जाए। तो आइए, अनाया के साथ समय में पीछे चलते हैं, उस इतिहास को जीने के लिए जिसे अब तक आपने सिर्फ जाना था, जिया नहीं। Visit our website to know more: https://chimesradio.com

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