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Padhaku Nitin is a casual and long conversation-based podcast where Aaj Tak Radio host Nitin talks to experts and discuss a wide range of topics like history, war, politics, policy, ideologies, cinema, travelling, sports, nature and everything that is interesting. A single episode of the show can be as enriching as reading four books. As we say in the podcast,Chaar kitaabe padhne jitna gyaan milega Padhaku Nitin mein.

कब कोई हक़ीक़त से मिथक बन जाता है? क्यों कोई कहानी सदियाँ पार करके हमारे सिरहाने आ बैठती है? कुछ नाम तो इंसानों की कलेक्टिव मेमोरी का हमेशा के लिए हिस्सा बन जाते हैं लेकिन पूरी की पूरी सभ्यता चुपचाप कैसे मिट जाती है?

भाषा के ग्रामर से मिले कब, क्यों, कैसे, कहां, किसने ऐसे शब्द हैं जो सेंटेंस में जुड़ जाएँ तो सवाल पैदा करते हैं और सवालों के बारे में आइंस्टीन ने कहा था- The important thing is not to stop questioning. पढ़ाकू नितिन ऐसा ही पॉडकास्ट है जिसमें किसी टॉपिक का रेशा रेशा खुलने तक हम सवाल पूछने से थकते नहीं.

Padhaku Nitin Aaj Tak Radio

    • Historia

Padhaku Nitin is a casual and long conversation-based podcast where Aaj Tak Radio host Nitin talks to experts and discuss a wide range of topics like history, war, politics, policy, ideologies, cinema, travelling, sports, nature and everything that is interesting. A single episode of the show can be as enriching as reading four books. As we say in the podcast,Chaar kitaabe padhne jitna gyaan milega Padhaku Nitin mein.

कब कोई हक़ीक़त से मिथक बन जाता है? क्यों कोई कहानी सदियाँ पार करके हमारे सिरहाने आ बैठती है? कुछ नाम तो इंसानों की कलेक्टिव मेमोरी का हमेशा के लिए हिस्सा बन जाते हैं लेकिन पूरी की पूरी सभ्यता चुपचाप कैसे मिट जाती है?

भाषा के ग्रामर से मिले कब, क्यों, कैसे, कहां, किसने ऐसे शब्द हैं जो सेंटेंस में जुड़ जाएँ तो सवाल पैदा करते हैं और सवालों के बारे में आइंस्टीन ने कहा था- The important thing is not to stop questioning. पढ़ाकू नितिन ऐसा ही पॉडकास्ट है जिसमें किसी टॉपिक का रेशा रेशा खुलने तक हम सवाल पूछने से थकते नहीं.

    JNU के एक पत्थर ने खोला इतिहास, सिंधु लिपि 'अफीम' क्यों और पुराने क़िले का राज़: पढ़ाकू नितिन, Ep 148

    JNU के एक पत्थर ने खोला इतिहास, सिंधु लिपि 'अफीम' क्यों और पुराने क़िले का राज़: पढ़ाकू नितिन, Ep 148

    एक रोज़ एक आर्कियोलॉजिस्ट जेएनयू की सड़कों पर टहल रहे थे। आदत के मुताबिक़ नीचे देख रहे थे। उम्मीद नहीं थी कि चंद कदमों दूर उन्हें पत्थर का ऐसा टुकड़ा मिलेगा जो प्राचीन इतिहास को बदल देगा.. और ये पहली बार नहीं था जब बीएम पांडे को ज़मीन से मिले किसी सुराग ने इतिहास की धारा को मोड़ा हो। ASI में पैंतीस साल तक काम करनेवाले बीएम पांडे 1996 में डायरेक्टर पद से रिटायर हुए थे। पद्म विभूषण बीबी लाल के शिष्य पांडे जी ने कालीबंगा, गिलूंद, सरदारगढ़, बुर्ज़होम, थानेसर के excavations में हिस्सा लिया और दिल्ली के पुराना किले में भी अहम खोज कीं। पढ़ाकू नितिन में आज बैठकी बीएम पांडे जी के साथ ही।

    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 56 min
    अटल ने जिसे एंटी नेशनल कहा वो एक्टर क्यों ख़ुद को 'भांड' कहता है?: पढ़ाकू नितिन, Ep 147

    अटल ने जिसे एंटी नेशनल कहा वो एक्टर क्यों ख़ुद को 'भांड' कहता है?: पढ़ाकू नितिन, Ep 147

    एक रुका हुआ फैसला, तारे ज़मीं पर, आयशा जैसी फिल्में हों या पचास साल तक देशभर में घूमकर थिएटर करना, कश्मीर का लोक नाट्य दुनिया में फैलाना या इमरजेंसी, सिख विरोधी दंगे, बाबरी विध्वंस के बाद राष्ट्रपति से मिलना और सफदर हाशमी की हत्या के बाद सहमत का बनना… एम के रैना हर जगह हैं. उनकी नई किताब आई है.. ‘Before I Forget’. इसमें आधी सदी में उन पर गुज़रे सारे किस्से दर्ज हैं.. आज ‘पढ़ाकू नितिन’ में आनंद लीजिए इस बैठकी का.


    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 1 tim. 46 min
    कपड़े उतारने को क्यों तैयार हो जाते हैं लोग, Nude Sketch Artist ने बताया: पढ़ाकू नितिन, Ep 146

    कपड़े उतारने को क्यों तैयार हो जाते हैं लोग, Nude Sketch Artist ने बताया: पढ़ाकू नितिन, Ep 146

    पेंटिंग की दुनिया में स्किल का ज़रूरी हिस्सा है- बिना कपड़ों की तस्वीरें बनाना. सुनने में अजीब सा लगता है. हम खुद कभी किसी पेंटर का सब्जेक्ट हो सकते हैं?? शायद नहीं, या शायद हां. स्केच आर्टिस्ट किसी को कपड़े उतारने के लिए कन्विंस कैसे कर लेते हैं? किसी को अपना न्यूड स्केच बनवाकर क्या मिलता है? ये सारे जवाब आज के पढ़ाकू नितिन में दे रहे हैं मिहिर श्रीवास्तव. दिल्ली के रहनेवाले मिहिर ने आजतक पांच सौ न्यूड स्केचेज़ बनाए हैं और अपने अनुभवों पर एक किताब भी लिखी है.

    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 1 tim. 16 min
    सिनेमा के समंदर से कैसे निकालें काम की फ़िल्में?: पढ़ाकू नितिन, Ep 145

    सिनेमा के समंदर से कैसे निकालें काम की फ़िल्में?: पढ़ाकू नितिन, Ep 145

    जिगन, लंदन, वियना, शंघाई और आधी दुनिया घूमकर भारत लौटे एक पत्रकार ने ढेरों नोट्स बनाए, और फिर उससे निकाली एक सुंदर सी किताब. इसका नाम है- ‘बेखुदी में खोया शहर- एक पत्रकार के नोट्स.’ इस किताब में दुनियाभर के शहर हैं, सिनेमा है, कला है, संगीत है और साथ में हैं ढेरों यादें उस गांव देहात की जो वो पीछे छोड़ आया. आज के पढ़ाकू नितिन में ढाई दशक से पत्रकारिता कर रहे अरविंद दास से मुखामुखम हुआ, उसका आनंद लीजिए.

    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 1 tim. 8 min
    औरंगज़ेब ने क्यों गिरवाए मथुरा के मंदिर और चर्चिल का वृंदावन से क्या रिश्ता?: पढ़ाकू नितिन, Ep 144

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    दिल्ली से 180 किमी दूर यमुना किनारे बसा है मथुरा. इतना पुराना शहर कि दो हजार साल पहले इजिप्ट के खगोलशास्त्री टॉल्मी ने इस शहर का ज़िक्र मोदुरा नाम से किया. लैटिन में इसका मतलब हुआ- सिटी ऑफ गॉड्स. यहीं है वृंदावन.. मंदिरों का शहर. यहां हर टीले के नीचे इतिहास दफन है. आपने कभी मथुरा वृंदावन की ऐसी दिलचस्प कहानी नहीं सुनी होगी जिसमें चैतन्य महाप्रभु हैं, औरंगज़ेब है, अकबर है, मान सिंह है, चर्चिल भी है और हैं कुछ प्राचीन मंदिर जिनका रिश्ता कलिंग तक से है. इस बार पढ़ाकू नितिन में सुनिए मदन मोहन मंदिर पर किताब लिखने वाले सुशांत भारती से गज़ब किस्से. सुशांत कन्ज़रवेशन आर्किटेक्ट और रिसर्चर हैं. रॉयल एशियाटिक सोसायटी ऑफ आयरलैंड एंड ग्रेट ब्रिटेन के फैलो भी और साथ ही लंदन की रॉयल हिस्टोरिकल सोसायटी के असोसिएट फैलो भी.

    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 1 tim. 35 min
    इंदिरा पर देवी का कोप, बाबरी पर राव का कबूलनामा और मनमोहन का बेस्टफ्रेंड: पढ़ाकू नितिन, Ep 143

    इंदिरा पर देवी का कोप, बाबरी पर राव का कबूलनामा और मनमोहन का बेस्टफ्रेंड: पढ़ाकू नितिन, Ep 143

    प्रधानमंत्री हमारे देश का सबसे ताकतवर पद है। नीतियां तय करना, लागू कराना, देश का विदेशों में प्रतिनिधित्व करना सब उसकी ही असीम ताकत का हिस्सा है। हम प्रधानमंत्रियों के फैसले देखते हैं लेकिन कभी उस प्रक्रिया को नहीं देखते जो फैसले के पीछे होती है और ना कभी इस पद पर बैठे शख्स के मूड, पूर्वाग्रहों और ज़िद को देख पाते हैं। छह प्रधानमंत्रियों पर अवॉर्ड विनिंग जर्नलिस्ट नीरजा चौधरी ने किताब लिखी है- How Prime Ministers Decide. चार दशकों तक राजनीतिक कोठरियों से कहानियां निकालती रहीं नीरजा ने पढ़ाकू नितिन में इंदिरा, मोरारजी, राजीव, राव, चंद्रशेखर, चरण सिंह, अटल, मनमोहन पर जमकर किस्से सुनाए।

    Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

    • 1 tim. 14 min

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