शिव पुराण के अनुसार, सृष्टि‑निर्माण से पहले केवल एक निराकार चेतना थी, परम ब्रह्मा। उसी चेतना ने दो रूप ग्रहण किए: पुरुष‑स्वरूप भगवान शिव और स्त्री‑स्वरूप माता शक्ति का। इन दोनों से उत्पन्न हुए पुरुष (विष्णु) और प्रकृति (उनकी सहधर्मिणी), जिनसे आगे संपूर्ण सृष्टि की रचना हुई।
भगवान शिव ने विष्णु और प्रकृति को तपस्या के लिए एक दिव्य नगर प्रदान किया जो कि पाँच कोस लम्बा, और पाँच कोस चौड़ा था, और उसका नाम रखा काशी। परंतु भगवान विष्णु की तपस्या इतनी घोर थी, कि तप करते हुए उनके शरीर से पसीना निकलने लगा, जो धीरे धीरे बढ़ता हुआ काशी को डुबाने लगा। तब भगवान शिव ने इस राज्य को बचाने के लिए अपने त्रिशूल पर धारण कर लिया।
तो चलिये, भगवान शिव द्वारा काशी को कहाँ और कैसे पुनः स्थापित किया गया, यह जानने के लिए सुनते हैं “विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग” की कथा।
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المعلومات
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- تاريخ النشر٢٩ يوليو ٢٠٢٥ في ١١:٠٠ م UTC
- الحلقة٧